Who are Madras Sappers: अब सेना की मद्रास सैपर्स संभालेगी मोर्चा

Madras Sappers For Manual Drilling: अब सेना की मद्रास सैपर्स संभालेगी मोर्चा

Who are Madras Sappers For Manual Drilling Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड के उत्तर काशी में बनाई जा रही सलकिया सुरंग में 41 मजदूरों की जिंदगी अभी भी दाव पर लगी हुई है बीते 14 दिनों से उन्हें सही सलामत निकालने का प्रयास जारी है अब इसी क्रम में भारतीय सेना के मद्रास सैपर्स के जवान भी शामिल हो गए हैं यह जवान कुछ सिविलियंस के साथ मिलकर मैनुअल ड्रिलिंग का काम करेंगे।

इसके लिए कुल 20 विशेष लोगों को भी बुलाया गया है वहीं बचाव के लिए प्लाज्मा कटर भी पहुंच गया है और उसने कटाई भी शुरू कर दी है बता दें कि 18वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत की राजनीति में शामिल हुई थी मद्रास प्रेसिडेंसी की नवगठित सेना में लड़ाकू अग्र दूतों की कमी थी जिन्हें कंपनियों के रूप में खड़ा किया गया था और संघर्षों के बाद भंग कर दिया गया था।

30 सितंबर 1780 को फोर्ड सेंट जॉर्ज में मद्रास पायनियर्स की दो कंपनियों की स्थापना की गई यह लोग आज के मद्रास इंजीनियर ग्रुप और भारतीय सेना के कोर ऑफ़ इंजीनियर्स के पूर्वज हैं मदरास पायनियर्स सशस्त्र बलों का एक अभिन्न अंग थे सक्रीय युद्ध में उनका मुख्य काम खाईया खोदना था।

जिससे तोप को दुश्मन के किले बंदे की सीमा में लाया जा सकता था और खदान खोदना था जो कि किले की दीवारों में दरार पैदा करते हुए विस्फोट कर सकता था परिणाम स्वरूप सपर्स एंड माइनर्स का जन्म हुआ इसके अलावा सपर्स निराश आशा और पैदल सेना के लिए उल्लंघन का मार्ग भी प्रशस्त करते थे। उन्होंने सड़कें पुल किलेबंदी और पानी की आपूर्ति भी बनाई और जरूरत पड़ने पर पैदल सेना के रूप में भी लड़े यह समूह मद्रास प्रेसिडेंसी द्वारा गठित किया गया था और मद्रास सेना का हिस्सा था इसीलिए इन्हें मद्रास सपर्स कहा जाता है।

मद्रास सेना चूहे की तरफ सिरंग खोदने के लिए खूब ज्यादा ही प्रख्यात है वहीं अमेरिकन ऑगर की प्लाज्मा कटर के साथ अव्वल लेजर कटर का भी अब इस्तेमाल किया गया है अगर शाम तक इन कटर्स के द्वारा अमेरिकन आर्गर मशीन को निकाल लिया जाता है तो 12 से 14 घंटे में उसके बाद यह टनल का काम पूरा हो सकता है।

वर्टिकल ड्रिलिंग की संभावनाएं बिल्कुल ना के बराबर है क्योंकि इस समय टनल के अंदर सभी 41 लोग आराम से हैं उनको खाना और सब कुछ मिल रहा है अगर वर्टिकल ड्राइविंग करते हैं तो संभावनाए है कि टनल के ऊपर प्रेशर बने और मलबे की वजह से उनकी पाइप टूट सकती है इसीलिए वर्टिकल ड्रिलिंग का सामान ऊपर पहुंचा दिया गया है।

वहीं मैनुअल ड्रिलिंग करने के लिए भारतीय सेना सिविलियन लोगों के साथ मिलकर टनल के अंदर ही चूहा बोरिंग करेगी इस दौरान हाथ से और हथौड़ी छैनी जैसे हथियारों से खोदने के बाद मिट्टी निकाली जाएगी और फिर ऑगर के ही प्लेटफार्म से पाइप को आगे धकेला जाएगा।

वहीं नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य लेफ्टनंट जनरल सैयद अता हसैन ने राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के तहत यह कहा कि राहत की बात यह है कि जो भी श्रमिक वहां फंसे हुए हैं उनसे बात हो रही है वे लोग ठीक हैं उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ अड़चनें आ गई हैं लेकिन मशीन 47 मीटर के बाद रुक गई है मलबे में 62 मीटर तक जाने की कोशिश कर रहे हैं।

अब वहां कटर का काम ज्यादा बचा है जिससे कटा हुआ हिस्सा बाहर निकाला जा सके उसके बाद मैनुअल काम किया जाएगा उन्होंने कहा कि एक मशीन भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट की है उनका कहना है कि 6 इंच का पाइप काम कर रहा है बहरहाल सबकी सासे मजदूरों के परिजनों की तिल की धड़कने भी अभी बढ़ी हुई हैं कब कौन सी अड़चन आ जाए और कितना समय लग जाए परिजनों के जहन में बस यही सवाल है।

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