Uttarkashi Tunnel Operation Update: टनल में फंसे मज़दूरों की अब अपनों से होगी बात

Uttarakhand Uttarkashi Tunnel Operation Latest News Update In Hindi: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फसे 41 मजदूरों को निकालने की सारी कोशिशें फिलहाल नाकाम साबित हो रही हैं रेस्क्यू ऑपरेशन में ऑगर मशीन की मदद ली जा रही थी लेकिन उसने बीच में ही धोखा दे दिया ड्रिलिंग के दौरान मशीन एक भारी भरकम सरिए से टकरा गई जिसके चलते मशीन ने काम करना बंद कर दिया और वह किसी काम की नहीं रही

अब वर्टिकल और मैनुअल ड्रिलिंग पर सारा दारोमदार टिका हुआ है रेस्क्यू ऑपरेशन में बार-बार अड़चन आने की वजह से रेस्क्यू टीम अब तक मजदूरों तक पहुंचने में सफल नहीं हो सकी हैं अब मजदूरों के लिए सुरंग में टेलीफोन पहुंचाने की तैयारी चल रही है बताया जा रहा है कि BSNL ने कम्युनिकेशन केबल बिछाना शुरू कर दिया है बीएसएनएल कर्मचारियों के मुताबिक छोटे साइज का फोन कनेक्ट करके 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए मजदूर तक भेजा जाएगा ताकि वह अपने परिवार वालों से बात कर सके

कम्युनिकेशन केबल को गुफा के मुहाने से होते हुए सुरंग के भीतर बिछाया जा रहा है टेलीफोन के जरिए अब यह मजदूर अपने परिजनों से बात कर सकेंगे उनको अपना हालचाल बता सकेंगे इसके अलावा बाहर रेस्क्यू में जुटी टीम के साथ भी वो संपर्क में रहेंगी

23 नवंबर की रात तक टनल में 48 मीटर तक हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पूरी कर ली गई थी फिर ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई इसे ठीक करने के बाद 24 नवंबर की शाम को दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई लेकिन एक बार फिर लोही के जाल ऑगर मशीन के सामने आ गए मशीन के ब्लेज में यह जाल उलझ गए जिससे ड्रिलिंग बंद करनी पड़ी

अब विशेषज्ञ बाकी बचे 12 से 14 मीटर की दूरी को मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए पूरा करने के बारे में सोच रहे हैं इसके अलावा वर्टिकल ड्रिलिंग का विकल्प भी है

अभिषेक सिन्हा (संवाददाता) और अनुराग वार्तालाप – ऑगर मशीन को लेकर जानकारी बताते हैं कि जब ऑगर मशीन को 5 मीटर के दायरे में अंदर घुसाई जा रही थी तब काफी मना किया गया था कि अब मैनुअल ड्रिल सबसे ज्यादा सक्सेस रहेगा क्योंकि जो अब पार्ट शुरू होने थे वो वो पार्ट थे जिसमें सबसे ज्यादा सरिया जाल और तमाम ऐसी चीजें थी जिसकी वजह से ऑगर मशीन वहां चलना संभव नहीं था लेकिन जीपीआर रिपोर्ट के ऊपर कई सवाल खड़े होते है अभी हम जीपीआर रिपोर्ट की फाइंडिंग ढूंढ रहे हैं कि अगर हमें जीपीआर रिपोर्ट मिलती है तो उसमें उस बात का खुलासा हो पाएगा कि आखिर जीपीआर रिपोर्ट्स में क्या यह लिखा था कि 5 मीटर का रास्ता एकदम क्लियर है यह सबसे बड़ा सवाल है।

मेरे सोर्सेस जो बताते हैं वो सीधे रूप से यह बताते हैं कि जीपीआर रिपोर्ट में इस तरह कोई भी चीज मेंशन नहीं की गई थी जिसमें 5 मीटर की बात कही हो और वहां उन्होंने बल्कि जीपीआर रिपोर्ट्स में यह लिखा गया था कि जो उन्हें जगह दी गई थी जहां पर उनका कैमरा और एंटीना लगाया गया था उसके मुताबिक वह उस जगह को पूरी तरह से वेरीफाइड नहीं कर पाए यानी टनल का जो पाइप का एरिया था वो वो वेरीफाइड नहीं किया था और मेरे जो सोर्सेस यह भी बताते हैं कि उसमें 5 मीटर जैसी कोई भी बात नहीं लिखी गई थी।

ये बहुत महत्त्वपूर्ण बात है की बार-बार अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि 55 मीटर तक कोई भी अवरोध यहां पर नहीं है आप आराम से काम कर सकते हैं क्या यह वाकई में एजेंसीज की ओर से रिस्क लिया गया जो रेस्क्यू ऑपरेशन यहां पर चलाया जा रहा है

इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड दिक्स के मुताबिक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग ही सिर्फ एक रास्ता नहीं है वर्टिकल और मैनुअल डलिंग से ही अब सफलता मिलने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही रेस्क्यू ऑपरेशन में देर लगे लेकिन जल्दबाजी में कोई गलत कदम या फैसला नहीं लेना ज्यादा जल्दबाजी से मजदूरों की जान खतरे में पड़ सकती है फिलहाल ग्राउंड जीरो से जो खबरें आ रही हैं उससे तो यही लग रहा है कि इन मजदूरों के टनल से निकलने में अभी लंबा वक्त लग सकता है।

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