Uttarkashi Tunnel Rescue Update: ‘ऑपरेशन मूषक’ से निकलेंगे मजदूर

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: 'ऑपरेशन मूषक' से निकलेंगे मजदूर

Uttarkashi Tunnel Rescue Update “Operation Mushak”: 41 जिंदगियां पिछले 15 दिनों से उत्तर काशी की सिल्क्यारा टनल में जिंदगी की जंग लड़ रही है बार-बार उन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाता है बार-बार यह ऑपरेशन फेल हो रहा है अब सेना ने स्थानीय लोगों के साथ इन लोगों की जान बचाने की ठानी है इन्हें बचाने के लिए खास ऑपरेशन चलाया जा रहा है जिसके तहत चूहों के अंदाज में ही सुरंग को खोदने का काम हो रहा है उम्मीद है कि इससे जल्द कामयाबी मिल सकती है।

15 दिन से उत्तर काशी के सिल क्यारा टनल में फसे मजदूरों को निकालने के लिए अब सेना का ऑपरेशन मूषक तैयार है सुरंग में 10 मीटर दूर 41 मजदूरों का इंतजार अब जल्द खत्म होने की उम्मीद है तमाम चुनौतियो के बाद सेना का यह खास ऑपरेशन कारगर माना जा रहा है।

मैनुअल ड्रिलिंग कुछ इस तरह से होगी कि रैट बोरिंग यानी जिस तरह से चूहा अपना बिल खोदता है उस प्रक्रिया के जरिए मैनुअल बोरिंग की जाएगी यानि मैनुअल ड्रिलिंग की जाएगी और फिर ऑगर मशीन के प्लेटफार्म के जरिए पाइप को आगे धक्का देकर पुश किया जाएगा और जो एस्केप चैनल यानि एस्केप टनल है उसको बनाने का काम किया जाएगा इंतजार बस इस बात का है कि ऑगर मशीन के जो ब्लेड फसे हुए हैं उनको पूरी तरह से काटकर पाइप का रास्ता क्लियर कर लिया जाए। तमाम चुनौतियों के बाद सेना का य प्लान बेहद अहम है रेस्क्यू में जुटी सभी एजेंसियों का मकसद सुरक्षित मजदूरों की वापसी है और इसके लिए वह हर प्लान पर पूरी तरह काम कर रहे हैं।

आखिर क्या है सेना का ऑपरेशन मूषक – ऑपरेशन मूषक यानी रैट बोरिंग चोह की तरह पहाड़ खोदने की तैयारी जिसके तहत मैनुअल ड्रिलिंग का मलबा हटाया जाएगा और देसी औजारों से मलबा भी हटाने का काम किया जाएगा यानी छीनी और हथौड़े का इस्तेमाल होगा जिसके बाद मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता बनाया जाएगा सेना के जवान और सिविलियन इस काम के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

मजदूरों को बचाने के लिए रैट बोरिंग की प्रक्रिया धीमी जरूर हो सकती है लेकिन इसे सफल माना जा रहा है बताया जा रहा है कि सब ठीक रहा तो जल्द ही 15 दिनों से फसे 41 मजदूरों के साथ 140 करोड़ देशवासियों का इंतजार खत्म होगा लेकिन रैट बोरिंग के साथ टनल में ऑगर मशीन के फसे प्लेट्स को निकालने के लिए प्लाज्मा कटर के जरिए काम किया जाना शुरू हो चुका है।

टनल से मजदूरों को निकालने के लिए बीते 15 दिनों से कई प्लान पर काम किया गया लेकिन मंजिल के करीब आते ही नई रुकावट चट्टान बनकर खड़ी हो जाती है ऑगर मशीन के फेल होने के बाद अब रेस्क्यू ऑपरेशन के प्लान बी पर काम शुरू हो गया है जबकि इससे पहले मंगलवार की रात ऑगर मशीन के ड्रिलिंग के बीच रॉड फंस गई फिर शुक्रवार को मशीन के प्लेटफॉर्म का संतुलन बिगड़ गया और शनिवार को पहाड़ काटकर ड्रिलिंग कर रही ऑगर मशीन की ब्लेड ही टूट गई।

वहीं अभी भी रेस्क्यू की राह आसान नहीं है टनल के सिल्क्यारा मुहाने के पास पानी का रिसाव बढ़ गया है इससे रेस्क्यू टीम की चिंता भी बढ़ गई है लेकिन हर चुनौती को पार करने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है।

वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर लाया गया है जहां से ड्रिलिंग करके मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता तैयार करने की कोशिश की जा रही है वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल करके रास्ता बनाया जाएगा हालांकि इसमें काफी खतरा भी है क्योंकि खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में मलबा गिरने की आशंका है इस तरह ड्रिलिंग में दो हफ्ते से ज्यादा वक्त भी लग सकता है।

बीते वक्त के साथ सुरंग में फसे मजदूरों का हौसला जवाब दे रहा है लेकिन मजदूरों के परिवारों से खुद मिलकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी परिवार को ढांड बंधा रहे हैं जबकि सुरंग में फसे मजदूरों को पाइप के जरिए खाना दवाइयां और जरूरी चीजें भी भेजी जा रही है फसे मजदूरों को उनके परिवार के सदस्यों से जोड़े रखने के लिए एक लैंडलाइन सुविधा भी स्थापित की गई है।

खाना भेजने के लिए इस्तेमाल होने वाले पाइप के जरिए कम्युनिकेशन सिस्टम बनाया गया है वहीं इसी पाइप के जरिए एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है जिससे बचाव कर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं एक के बाद एक कई रुकावट ने ना सिर्फ रेस्क्यू अभियान में रोड़ा अटका बल्कि उम्मीद और हौसले को भी चुनौती दी है चुनौतियां कई आई लेकिन ना सुरंग के बाहर जुटे एनडीआरएफ के जवानों का मनोबल गिरा और ना ही सुरंग के गुप्प अंधेरों में फंसे मजदूरों का उम्मीद है की कामयाबी जल्द मिलेगी।

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