Motivational Story In Hindi – पागल हो जाओ 180 दिनों के लिए

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Motivational Story In Hindi - पागल हो जाओ 180 दिनों के लिए

Motivational Story In Hindi – आयुष एक 17 साल का लड़का जो एक बहुत ही Boring और Struggling life जी रहा था। बिलकुल आपकी तरह, आपकी तरह वो भी दिन भर परेशान ही रहता। कभी मां डांटती तो कभी पापा चार बात सुना देते और बचे हुए खाली समय में वो बस tension, तंगी और Distraction के साथ आलस्य का कम्बल ओढ़कर लिपटा रहता।

पढ़ाई में वो एक average student था और उसका कुछ खास मन लगता भी नहीं था इसमें। वो हर काम में पीछे रह जाता, वो एक नंबर का आलसी लड़का था। एक काम भी वो ढंग से नहीं करता था इसी वजह से हर काम में वो चार बात सुनता। उसे बेइज्जत होना पड़ता। कोई उसे पसंद नहीं करता था। सब उसकी नालायक और मूर्खों में गिनती करते लेकिन असल में वो मूर्ख नहीं था।

ऐसा बस लोगों को दिखता था मगर उसका दिमाग बहुत तेज था और यही उसकी सबसे खास बात थी। वो अपने आप की ताकत को जानता था वो ये भी जानता था कि अगर वो अपने असली औकात पर आ गया तो सब कुछ बदल जाएगा और वो सबसे बड़ा भी बन जाएगा, खूब सफल हो जाएगा।

वो नालायक नहीं बस आलसी था और यही आलास्पन तो उसे हर जगह बेइज्जत कर देता था। उसका मन स्थिर नहीं था और इसी reason की वजह से वो खुद ही बार-बार लोगों के दरवाजे पर पहुंचता, किसी न किसी को फोन करता और किसी न किसी के पीछे पागल रहता लेकिन बदले में कोई उसे दो पैसे का भी भाव नहीं देता।

एक तरह से कह सकते हैं, हर जगह से बेइज्जत हुआ बंदा था वो लेकिन सब का सुनहरा और खूबसूरत दिन आता है। उसके भी खूबसूरत दिन बड़े जल्दी आने वाले थे। साल था 2019, जब उसी का एक रिश्तेदार जो कि उससे उम्र में चार से पांच साल बड़ा था वो उससे मिलता है। मुलाकात में दोनों की बाते होती है मगर थोड़ा खुलने के बाद वो लड़का यानी आयुष अपने उस रिश्तेदार को अपनी सारी परेशानियों के बारे में बताता है।

उसके उस रिश्तेदार को उस लड़के में एक चिंगारी ज़रूर दिखती हैं कि ये लड़का दम रखता है कुछ बड़ा करने का मगर ये इतने सारे उलझनों में फंसा ही कुछ इस तरह हैं की ये कभी कुछ सही नहीं कर पाता इस वजह से लोग बस इसकी गलतियां देखते हैं, इसके पीछे की वजह और हालत नहीं।

कहते हैं ना, हर रिश्तेदार बुरा नहीं होता। कुछ फरिश्ते भी होते है। उसने पहले उस लड़के की पूरी बात सुनी और फिर उससे बस एक ही सवाल पूछा, तुम चाहते क्या हो ? इसपर उस लड़के ने कहा मै सब अच्छा करना चाहता हूं, सफल होना चाहता हूं, कम से कम गलतियां करना चाहता हूं और हर चीज में आगे रहना चाहता हूं।

फिर उसके रिश्तेदार ने एक दम शांति से कहा अच्छा मुझे एक बात बताओ ! अगर तुम्हारे गोद में एक दो साल का बच्चा थमा दिया जाए और उसे गोद में लिए ही तुम्हे आगे एक किलोमीटर दूर एक मंदिर पर जाना है जहां तुम्हारे परिवार के लोग मौजूद हैं और पूजा की तैयारी में हैं जो बस तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं तो मुझे बताओ, क्या तुम्हे उस बच्चे के बोझ से चलने थोड़ी तकलीफ होंगी या नहीं ! उसने जवाब दिया – बिल्कुल होगी।

इसके बाद उसने कहा -: उस बच्चे ने अपने हाथ में तीन चार खिलौने लिए हैं जिनका वजन कुल मिलाकर कम से कम आधा-एक किलो तक होगा ही तो क्या इससे समस्या थोड़ी और नहीं बढ़ेगी ! उस लड़के ने कहा – बिल्कुल बढ़ेगी इसके बाद उसने कहा – तुम नंगे पाओ बिना ये जाने की मंदिर एक किलोमीटर आगे तो हैं मगर किस दिशा में हैं यानी कहां से उसका रास्ता है ये तुम्हे मालूम ही नहीं तो बताओ , तब क्या हालत होगी तुम्हारी !

उसने कहा -: मेरी हालत तो बहुत बुरी हो जाएगी। उस रिश्तेदार ने फिर पूछा -: इसके साथ अब तुम्हारे घरवाले phone करके तुम्हे दो किलो प्रसाद लाने के लिए कहते हैं तो उस समय तुम्हरा मन्दिर में पहुंचना, ज्यादा वजन और भटकते मन के साथ और भी मुश्किल हो जाएगा ? है ना! उस लड़के ने जवाब दिया – बिल्कुल हो जाएगा।

इन सब के बाद किसी तरह तुम आधे रास्ते तक पहुंच गए तब अचानक तुम्हे याद आता है कि तुमने अपने घर का दरवाजा तो lock किया ही नहीं और घर में पचास हजार cash और कुछ गहने हैं। उस वक़्त क्या करोगे ! तुरंत भागना पड़ेगा ना वापस ! उस लड़के ने कहा -: मेरी तो हालत खराब हो जाएगी।

आखिर में उस रिश्तेदार ने फिर एक बार बड़े प्यार से कहा – अब मुझे बताओ , इसमें दोष किसका था ! क्या तुम्हारे घर वालों का , किस्मत का , उस बच्चे का , या तुम्हारे खुद का। आयुष थोड़ा सोच में पड़ गया और बोला – कि सारा दोष मेरा है।

उस रिश्तेदार ने कहा – यहां भी तुम गलत हो। दोष तुम्हारा नहीं उस बोझ का है जिसे धीरे-धीरे तुमने अपने ऊपर बढ़ाया है। ये बोझ सिर्फ phyically ही नहीं mentally भी तुमने खुद ही बढ़ाया है जैसे उस बच्चे के बोझ से तुम्हारा चलना धीमा हुआ और घर भागने के बोझ से दिमाग में tension घुसी की कहीं पैसे ना चोरी हो जाए और दोबारा जाना भी हैं और बच्चे को संभालना भी है और पूजा के प्रसाद को भी अपवित्र नहीं होने देना है।

इन सब बोझ के साथ तुम्हे लगता है कि तुम एकदम आनंद में time पर सही मुहूर्त पर मन्दिर पहुंचने में सफल हो पाओगे।

उस लड़के ने जवाब दिया – नहीं। बिल्कुल भी नहीं।

उस रिश्तेदार ने फिर कहा -: जरा सोचो कुछ बोझ के साथ तुम एक किलोमीटर का फासला भी सही ढ़ंग से तय नहीं कर पाए तो जिंदगी के सफ़र में जहां छोटे-छोटे बोझ के साथ कई कोसों दूर की तुम्हे उड़ान भरनी है उन्हें कैसे पूरा करोगे।

आयुष ने कहा -: छोटे-छोटे बोझ का मतलब ! ऐसे बोझ मेरी जिंदगी में कहां है ? तो उस रिश्तेदार ने कहा – : बुरी आदतों का बोझ। एक के बाद एक जैसे आलस्य , जिद्द , अनुशासनहीन होना , देर तक सोना, यादाश्त का कमजोर होना , समय बर्बाद करना , दूसरों की चुगली करना, बड़बोल करना, गलत संगत में रहना, गलत सिद्धांतों पर जीना, जब तक इन सबका बोझ रहेगा तुम कैसे सफल हो जाओगे ? कभी नहीं हो पाओगे।

Challenges यहां कम नहीं हैं, कुछ ऐसी duties है तुम्हारी जो तुम नहीं कर पाते। बुरी आदतों का इतना बोझ तुमने अपने सिर लिया है कि तुम चाहकर भी आगे बढ़ने की कोशिश में हर बार नाकाम होते हो।

आयुष सोच में पड़ गया और फिर बोला – ये बात तो आपने बिल्कुल सही बोली मगर मै क्या करूं ? पढ़ने बैठता हूं तो पढ़ने में मन नहीं लगता। किसी काम में ध्यान नहीं रहता। सोचता हूं, कल से कसरत करके अच्छा शरीर बनाऊंगा मगर वो भी नहीं होता। बार-बार मन में ख्याल आता हैं, फोन बंद करके सिर्फ और सिर्फ अगले कुछ साल अपने Career पर focus करूंगा मगर अफसोस वो भी नहीं होता। कुछ समझ ही नहीं आता ! क्या करूं ?

फिर एक बार उसी रिश्तेदार ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ उसे कहा – जिस तरह कुशलता रणनीति और कोशिश सब होने के बाद भी अगर सही रास्ते का पता ना हो ना तो मंजिल तक नहीं पहुंच पाओगे और अगर पहुंच भी गए तब भी बहुत देर से पहुंचोगे।

आयुष बोला – तो फिर पहुंचने का सही रास्ता क्या है? उसने कहा -: एक बात बोलूंगा और सिर्फ एक बार बोलूंगा। अगर तुमने मान लिया तो ये तुम्हारी खुशकिस्मती होगी और अगर तुमने नहीं माना तो याद रखना तुम मेरी नजरों से गिर जाओगे और आज के बाद कभी भी मै तुम्हे seriously नहीं लूंगा।

आयुष ने हां में सिर हिलाया। उसने कहा -: अगले छह महीने के लिए यानी पूरे 180 दिन के लिए आज रात को शपथ लेनी है। 180 दिन का challenge लेना है। कोई पार्टी नहीं , कोई छुट्टी नहीं खुद पर मेहनत करना छोड़ना नहीं चाहे जो हो जाए , आगे बढ़ने से रूकना नहीं। हर दिन धीरे-धीरे अपने पढ़ाई और productive कामो में समय को बढ़ाते रहना है, इन 180 दिनों के challenge को चार हिस्सों में बाटेंगे।

जिसमे पहला पड़ाव होगा 45 दिन का। पहले पढ़ाव में आपको बाहरी दुनिया से Disconnect होना है। किसकी शादी हैं, किसके लड़के का मुंडन हैं, किसके घर में क्या खिचड़ी पक रही है, किसकी लड़की किसके साथ भाग गई। कौन किसकी तैयारी कर रहा है, किसने नया घर लिए है, नई गाड़ी ली है किसके यहां कोई Function है? कौन मर गया , कौन जी रहा है‌? इन सभी मोह माया से सबसे पहले Disconnect होना है।

पहले पडाव की चुनौती में लगभग 20 प्रतिशत लोग बाहर हो जाएंगे और उम्मीद करता हूं क्योंकि तुम्हारे अंदर मुझे चिंगारी दिखी है तो तुम टिक जाओगे। इस पहले पडाव में अपने distractions के सभी Sources को खत्म कर दो।

phone, laptop या computer ऐसी कोई भी चीज जहां से अगर एक पैसे की भी value नहीं मिल रही है तो उसे बंद कर दो। जो दोस्त बार-बार घूमने और फालतू के कामों के लिए बुलाने आता है उसे block कर दो, जो छोटे-छोटे Distractions जैसे – कोई birthday party ,या कहीं बाहर घूमने जाना या बीमार पड़ जाना ऐसी चीजों को भी ignore करो।

सबसे मुश्किल ये पहला पडाव ही होता है क्योंकि इसमें आप अपने अंदर के लालच और बर्बाद कर देने वाले सुखों को तोड़ तोड़कर खत्म करते हो। इस पहले पडाव के बाद अब आप mentally Focused और Self Concentrated हो जाते हो जिसके बाद जीतना और बेहतर तरीके से रहना आसान हो जाता है।

अब हमारी entry होती है उस दूसरे पडाव में। यहां अगले 45 दिनों के लिए हर दिन मेहनत और बुद्धिमानी की speed को धीरे-धीरे increase करना है। शुरुआत भले ही पहले दिन 10 मिनिट पढ़ने से करो मगर हर दिन उसे थोड़ा-थोड़ा बढ़ाओ।

अगर पांच-पांच मिनट भी हर रोज बढ़ाते गए तो अगले 44 दिन बाद वो दस मिनिट 4 घंटे में बदल जाएगा और एक दम आसानी से बिना किसी भी तकलीफ के तुम हर रोज बहुत मजे से चार घंटे पढ़ पाओगे और अब क्योंकि पहले पड़ाव में तुमने अपने सभी distractions को खत्म कर रखा है तो अब Focus level अपने आप बढ़ेगा और साथ ही साथ पढ़ा हुआ या कुछ नया सीखा हुआ बहुत लंबे समय तक बहुत अच्छे से याद भी रहेगा।

इन 45 दिनों में पूरा ध्यान अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करना है। इसमें एक challenge लेना है कि हमें हर दिन particularly इतने घंटे पढ़ने बैठना है या किसी अच्छी skill को सीखने में लग जाना है यहां पर पचास प्रतिशत लोग फिसल जाएंगे, लेकिन आपको टिके रहना है।

अब बारी है तीसरे पड़ाव की। और ये भी 45 दिन का ही होने वाला है, इस पड़ाव में अगर आदमी आ गया, तो समझो उसने almost सब कुछ पा लिया। इस पड़ाव में state of Nothing में जाना है जहां अपने Ethics को , अपने Lifestyle को जो आप पिछले 90 दिनों से करते आ रहे हो उसे एक level और ऊपर लेकर जाना है।

इसमें असल में होता क्या है कि तुम्हारे शरीर को अब तक आदत लग चुकी हैं मेहनत करने की , Discipline में रहने की और पहले की तरह वो तमाम बुरी आदतें अब तुम्हारे में नहीं है तो इस वक़्त तुम्हारे पास एक मौका है और वो हैं इन्हीं कोशिशों को एक level ओर उपर लेकर जाने का।

जैसे जो Hardwork अब तक चार घंटे का होता था उसे बढाकर छह घंटे कर देना है। पहले जहां पढ़ाई पंखे में होती थी , अब ऐसे state में जाना है कि जहां गर्मी से हालात खराब भी हो तब भी इसका तुम्हारे ऊपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ना चाहिए। बिना किसी सुख सुविधा के , बिना किसी internet या personal help के अब तुम्हे तुम्हारा काम करना आना चाहिए।

इस पड़ाव में कुछ इस तरह बनना है जैसे तुम किसी के मोहताज नहीं। ना पैसों के, ना किसी सुख सुविधा के। सिर्फ और सिर्फ अपने दम पर हो और रहोगे। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार ऐसे भी समय आएंगे जब खराब परिस्थितियों में भी , failures में भी अपने मेहनत में कोई कंजूसी नहीं करनी होगी बल्कि मेहनत बरकरार रखनी होगी। ऐसे वक्त के लिए ये तीसरा पड़ाव आपको तैयार करता है।

अब बारी आती है चौथे पड़ाव की जिसमे 15 से 20 प्रतिशत लोग ही जा पाते हैं लेकिन यही वो लोग होते हैं जो बाकी के 80 प्रतिशत लोगों के sir होते हैं, उनके role model और learning Examples होते है। ये आखिरी पड़ाव है पूरे 180 days challenge का। ये 45 का आखिरी पड़ाव होने के बाद, आप 180 दिन का challenge पूरा कर चुके होंगे, इसके बाद तुम एक दम बवाल बनने वाले हो।

इस समय तक आते-आते तुम अपने काम में एक दम perfect हो चुके हो। Lifestyle एक दम जबरदस्त हो चुकी है। किसी भी बुरी आदतों में नहीं फंसे हो। लोगो ने तुम्हारी तारीफें भी शुरू कर दी है। तुम्हें भी अब हर मोड़ पर सफलता मिलने लगी है।

चाहे वो exams में हो , चाहे वो किसी और काम में हो , या चाहे वो किसी project या job Field में ही हो लेकिन अब वक़्त है कुछ Magical और Strict Skills को सीखने का जो पूरे छह महीने के period की चमक को और ज्यादा बढ़ा देंगे।

magical Skills से मेरे कहने का मतलब है जैसे – तुम communication और presentation सीख सकते हो , तुम Martial Art सीखकर अपने Body को well shaped और दिमाग के Focus को ओर बढ़ा सकते हो। Coding या AI में Specialized होकर तुम अपने Future Security के लिए कई और Options create कर सकते हो।

पहले के तीन पड़ाव के आते-आते तुम दूसरों से बहुत आगे तो ऐसे ही आ चुके हो और जिस तरह हम सांस लेना , खाना-खाना और सोना नहीं भूलते क्योंकि वो हमेशा हम एक ही समय पर करते हैं अगर ना करे तो शरीर याद दिला देता है ठीक उसी तरह तीन पड़ाव को कर लेने के बाद अब दिमाग और शरीर को उन्हीं challenges और tasks को करने की आदत लग जाती हैं और इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि अब मेहनत और काम करने में भी बहुत मजा आने लगेगा।

दोस्तों ये जो मैंने कहानी सुनाई उसका एक suspense अभी खोलूंगा। सबसे पहली बात की वो कहानी बिल्कुल सच्ची थी। आज वही लड़का Ayush Railways में एक अच्छे post पर काम कर रहा है उसने 2019 के batch में railways का Exam निकाला था। मुझे इसकी exact जानकारी तो नहीं लेकिन लोगों से आज उसकी खूब तारीफें सुनने को मिलती है वो लाख रुपए की salary पर एक अच्छी जिंदगी जी रहा है।

आप भी अगले 180 दिन का challenge अपना लो और चाहे जो हो जाए सिर्फ और सिर्फ 180 दिनों की तकलीफ़ होगी लेकिन इस छह महीने की तकलीफ़ के बाद अगले 60 साल मौज करोगे।


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