Moral Story For Kids In Hindi – जादुई चक्की की कहानी

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Moral Story For Kids In Hindi - जादुई चक्की की कहानी।

Moral Story For Kids In Hindi – एक गांव में विक्रम और राघव दो भाई रहते थे। बड़ा भाई विक्रम बहुत अमीर था और छोटा भाई राघव मेहनत तो खूब करता था लेकिन फिर भी वह अपनी और आपने परिवार की जरूरते पूरी नहीं कर पता था। वह अपनी गरीबी से बहुत परेशान था।

विक्रम ने पिताजी के कमाई से राघव को उसका हिस्सा नहीं दिया था और न ही वह राघव की कोई मदद करता था। दिवाली का उत्सव था, सब जगह दियो की रोशनी थी। घर-घर में मीठा, नमकीन, नए कपड़े और खुशियों का माहौल था।

विक्रम के घर पर बहुत ही धूम-धाम से दिवाली मनाई जा रही थी। उसकी बीबी और बच्चो ने नए कपड़े और जेवर पहन लिए थे, कई तरह के मिठाईओं से, पंच पकवानो से उसका घर भरा हुआ था। वही राघव के घर पर त्यौहार तो क्या खाने पिने के लिए भी पैसे नहीं थे। वह मदद के लिए अपने बड़े भाई के घर गया।

राघव – सुनो भईया मेरे काम-काज का अब कोई ठिकाना नहीं है, मै परेशान हो चूका हूँ, मै हर रोज़ काम की तलाश में बाहर निकलता हूँ लेकिन मुझे मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता घर पर राधा और सूरज भूखे बैठे हुए है। मेरी कुछ मदद करो, मेरे पास पैसे आते ही तुम्हारे कर्ज लौटा दूंगा भईया।

विक्रम – राघव मैंने बहुत ही कड़ी मेहनत से ये ऐसो आराम कमाया है आज-कल खर्चे भी बहुत बढ़ गए है। तुम्हे भी कड़ी मेहनत करनी होगी मै तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता अब तुम यहाँ से जा सकते हो।

राघव – सुनो भईया, पिताजी ने जो मुझे हिस्सा दिया है वही मुझे वापस लौटा दो मैंने आज तक तुमसे कभी नहीं माँगा लेकिन आज मेरे बुरे दिन चल रहे है इसलिए मै अपना हिस्सा मांग रहा हूँ।

विक्रम – तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मुझसे हिस्सा मांग रहे हो अभी यहाँ से दफा हो जाओ वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

राघव को अपने भाई के वर्ताव से बहुत बुरा लगा वो काम की खोज से जंगल की ओर चल पड़ा। कुछ दूर चलते ही उसे वहा एक बूढी औरत दिखाई दी उसके सामने लकड़ियों का ढ़ेर था। राघव ने सोचा की अगर मै इनकी मदद कर दू तो मुझे कुछ पैसे मिल सकते है।

राघव – क्या मै ये लकड़िया आपके घर तक पंहुचा दू माता जी आप मुझे उसके बदले कुछ पैसे दे देना और भी कुछ काम होगा तो वो भी मै कर दूंगा।

बुढ़िया – जुरूर.. मेरी मदद करने का पैसे मै तुम्हे जरूर दूंगी। लेकिन तुम इतने दुखी क्यों लग रहे हो। राघव – घर पर बीबी बच्चे भूखे है खाने के लिए घर पर अनाज का एक दाना भी नहीं है कही भी काम करने के लिए नहीं मिल रहा है।

बुढ़िया – दुखी मत हो, ये लो केसर की मिठाई। आगे चलते ही चार घने पेड़ दिखेंगे उनके पीछे ही छोटी सी एक गुफा है उसमे तीन बौने रहते है उन्हें ये मिठाई बहुत पसंद है वो जैसे ही ये मिठाई देखेंगे वो मांगेंगे तुम इस मिठाई के बदले उनसे चक्की मांग लेना। चक्की के आते ही तुम्हारे दिन बदल जायेंगे।

राघव ने बुढ़ी औरत की मदद की और उनसे वो मिठाई लेकर जंगल में आगे बढ़ने लगा कुछ देर चलने के बाद उसे चार बड़े पेड़ दिखाई दिए उनके पास जाते ही राघव को एक गुफा दिखाई दी उसका दरवाजा बहुत ही छोटा सा था वह झुख कर गुफा के अंदर गया। जैसे ही वह अंदर गया उसने देखा तीन बौने अंदर खड़े हुए थे राघव के हाथ में केसर की मिठाई को देखकर वह तीनो ही बहुत खुश हुए और राघव से वह मिठाई मांगने लगे।

राघव – ठीक है ये मिठाई मै आपको दे दूंगा लेकिन उसके बदले मुझे वो चक्की चाहिए।

बौना – ठीक है मै तुम्हे ये चक्की दे दूंगा, लेकिन हां ये कोई मामूली चक्की नहीं है यह एक जादुई चक्की है तुम इससे जो मांगोगे वो तुम्हे मिल जायेगा और जैसे ही तुम्हारी जरुरत पूरी हो जाये तुम इस पर एक लाल रंग का कपड़ा डाल देना, क्योकि इस चक्की को रोकने का यही एक तरीका है।

राघव – शुक्रिया, मै इस बात को जरूर याद रखूँगा ।

राघव बहुत ही खुश हुआ और वह चक्की लेकर घर आ गया। घर पर बीबी और बच्चे भूखे ही बैठे थे। राघव ने पत्नी को सारी घटना बताई। उन्होंने एक चादर बिछाकर चक्की उस पर रख दी।

राघव ने चक्की से कहा “चक्की चक्की चावल निकाल” और फिर देखते ही देखते वहा चावल का ढ़ेर लग गया फिर राघव ने लाल कपड़ा डालकर चक्की को रोक दिया। फिर एक-एक करके उसने चक्की से दाल गेहूं और बाकि का अन्य सामान भी मांग लिया।राघव और उसके घर वालो ने भर पेट खाना खाया।

अब राघव बाकि का अनाज लेकर बाजार जाकर बेच आता था देखते ही देखते राघव की आर्थिक परिस्थिति ठीक होने लगी। पहनने के लिए अच्छे कपड़े, भर पेट खाना और बच्चे की शिक्षा। सब कुछ आसान हो गया और उसने नया घर भी बनाया। यहाँ बात उसके बड़े भाई विक्रम तक पहुंच गयी यह जानकर उसे बहुत हैरानी हुयी।

विक्रम – कल तक तो इस राघव के पास खाने के लिए पैसे नहीं थे अब इतने सारे पैसे, नया घर, कपड़े, खाना-पीना, बच्चो की शिक्षा कहा से आया इसके पास इतना पैसा। मुझे यह राज जानना ही चाहिए।

वह खाना खाने के बहाने राघव के घर गया और खाना खाकर वापस ना जाकर वह खिड़की के बाहर रुक गया और छिपकर वह घर पर नजर रखने लगा। जैसे ही राघव ने चक्की से अनाज माँगा चक्की ने अनाज देना सुरु कर दिया यह देखकर विक्रम ने सोचा की वह ये चक्की चुराकर घर ले जायेगा।

दूसरे दिन राघव अनाज बेचने जब बाजार गया तो विक्रम चुपके से राघव के घर में घुस गया सबकी नजर चुराकर वह चुपके से चक्की अपने घर ले गया और अपनी पत्नी और बच्चो को लेकर अपना घर और गांव छोड़कर चला गया और दूर कही जा कर दूसरे गांव में जा बसने का सपना देखने लगा।

उसने एक नाव खरीदी और अपने बीबी और बच्चो के साथ वह नाव में बैठ गया। उसकी पत्नी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की ये क्या कर रहे है उसने पूछा ये चक्की लेकर आपने घर और गांव क्यों छोड़ दिया।

विक्रम बोला ये कोई मामूली चक्की नहीं है यह जादुई चक्की है इसी की वजह से राघव इतना बड़ा घर और धन दौलत का मालिक बना है और मै इस चक्की को उसके घर से उठाकर ले आया हूँ इससे हम बहुत धन कमाएंगे और आराम की जिंदगी गुजारेंगे।

मै तुम्हे दिखाता हूँ की ये जादुई चक्की किस तरह से काम करती है चक्की से बोला “चक्की चक्की नमक निकाल” चक्की ने नमक निकालना चालू कर दिया देखते ही देखते ढ़ेर सारा नमक नाव में भरने लग गया। विक्रम को चक्की कैसे रूकती है ये तो पता ही नहीं था नमक की वजन से नाव पानी में डूबने लगी और विक्रम और उसका परिवार पानी में डूब गए।

विक्रम की लालच की वजह से उसे और उसके परिवार को अपनी जान गवानी पड़ी। राघव मेहनती था भले ही चक्की अब उसके पास नहीं थी लेकिन आज तक चक्की ने जो भी दिया था राघव ने अपनी मेहनत से उसे दुगना कर दिया था और ख़ुशी से जीने लगा।

शिक्षा – इससे हमें यही सिख मिलती है की लालच बुरी बला है।


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