Story In Hindi – चार बहुओं की सास की कहानी Part-2 Here, You Can Read Latest Collection Of Short & Long Real Moral Stories In Hindi For Child, Hindi Kahani, Horror Story In Hindi, Short Story For Kids In Hind and English and many more.
Story In Hindi – सुसीला की चारो बहुये अलग-अलग फ्लैट में रहती है एक दिन सुसीला के पास गाँव से उसके भाई हितेश का फ़ोन आता है।
हितेश – सुसीला दीदी कैसी हो आप? सुसीला – मैं तो ठीक हूँ हितेश तुम कैसे हो, बहुत दिनों के बाद फ़ोन किया सब ठीक तो है ना। हितेश – हां दीदी सब ठीक है, मैं कल तुम्हारे पास आ रहा हूँ वहां मुझे कुछ काम था तो सोचा अपने भांजे से भी मिल लूंगा।
फ़ोन कट जाता है और सुसीला दुविधा में पड़ जाती है वह सोचने लगती है “बच्चे तो मेरे साथ में नहीं रहते अगर भाई को पता चल गया की मैं अकेले रहती हूँ तो वह बहुत दुखी होगा, खैर अब जो होगा वो देखा जायेगा आने दो भाई को” अगले दिन हितेश सुसीला के घर पहुंच जाता है वह अपने भाई को देखकर बहुत खुश होती है और सोच में पड़ जाती है।
हितेश – सुसीला दीदी क्या सोच रही हो। सुसीला – अरे कुछ नहीं तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लती हूँ। हितेश – दीदी तुम क्यू ला रही हो, खाना तो आपको बहुये लाएंगी कहा गयी वो।
सुसीला ने हितेश को सारी बात बता दी।
हितेश – कलियुग आ गया है दीदी कलियुग चार-चार बेटे के होते माँ बेसहारा हो जाये ये तो घोर कलियुग है चलो मैं तुम्हारे बेटो से मिलकर आता हूँ।
हितेश ऊपर चला जाता है तो देखता है की सुसीला के बड़े बेटे को शराब पिने की आदत होती है जो अब बहुत बढ़ चुकी है। उसके दो बच्चे है।
बड़ा बेटा – मामा जी कैसे हो आप, घर में सब ठीक है बड़े दिन बाद आप मिलने आये। हितेश – घर में तो सब ठीक है तुम बताओ कैसा चल रहा है यहाँ, सब कुछ ठीक है ना।
इतने में उसका छोटा बेटा यानि सुसीला जी का पोता हितेश के पास आता है जो लगभग 6 साल का था हितेश उससे पूछता है।
हितेश – कैसे हो बेटा, कौन सी क्लास में हो। पोता – मैं तो अभी LKG में हूँ नाना जी। हितेश – अच्छा बड़ा होकर क्या बनोगे। पोता – मैं बड़ा होकर पापा की तरह शराबी बनूँगा।
यह सुनकर सभी लोग भोचक्कार रह गए और रोमा फुट-फुट कर रोने लगी और रोते-रोते बोली।
रोमा – अगर मैं अलग ना हुयी होती तो ये इतनी शराब नहीं पीते माँ के साथ रहते थे तो इनको माँ से थोड़ी सरम तो होती अब बच्चे भी वही सिख रहे है जो ये सीखा रहे है।
थोड़ी देर बाद हितेश ऊपर दूसरे भांजे के पास जाता है पर वहां की हालत कुछ अजीब ही थी जैसे चारो तरफ सामान बिखरा हुआ था कोई साफ़ सफाई नहीं टीना सारा दिन सोती रहती या टीवी देखती रहती। हितेश से घर की हालत देखि नहीं गयी और उसने बातो बातो में ही पूछ लिया।
हितेश – बेटा घर बदल रहे हो क्या, सब सामान बिखरा हुआ है।
मामा जी की बात सुनकर टीना झट से बोली।
टीना – मामा जी पहले सब माँ के साथ रहते थे ना तो सारी बहुओं को एक ही काम करना रहता था तो काम जल्दी से हो जाता था अब सारा काम मुझि को ही करना पड़ता है तो समझ में ही नहीं आता की कहा से सुरु करू और कहा पर ख़त्म करू। हितेश – अरे तो बेटा एक काम वाली को रख लेते। टीना – इनकी इतनी सैलेरी कहा की काम वाली को रख सके। मामा जी हम अलग फ्लैट में ना रहते ना तो इतनी परेशानी ना होती वहा सब मिल जुलकर काम कर लेते थे।
ये कहते ही टीना के आँखों से आंसू बहने लगते थे हितेश वहां से भी चला जाता है और तीसरे बेटे के घर यानि तीसरी मंजिल पर पहुँचता है। वहा हितेश का तीसरा भांजा और उसकी पत्नी मीनू आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे।
हितेश – बेटा कैसा चल रहा है, तुम्हारी माँ ने बताया की तुम सब अलग-अलग रहते हो तो मैं आ गया तुमसे मिलने। तीसरा बेटा – सब ठीक है मामा जी आप बताओ आप कैसे हो। मीनू मामा जी आये है कुछ खाने को लाओ।
इतना सुनते ही मीनू रसोई के डब्बो में देखने लगती है वो एकदम खाली होते है और वह वही बैठकर सर पकड़कर बैठकर रोने लगती है रोने की आवाज सुनकर हितेश और मीनू का पति अंदर आते है।
हितेश – क्या हुआ बेटा रो क्यों रही हो? मीनू – क्या बताऊ मामा जी मैं अपनी किस्मत पर रो रही हूँ, अगर मैं भाभियो के बातो में आकर घर से अलग ना होती ना तो आज ये दिन देखना ना पड़ता घर में खाने के लिए कुछ नहीं है और काम का भी पता नहीं मिलेगा की नहीं। मेरी सास हमेशा हमारी ख्याल रखती थी और आज ये दिन सिर्फ मेरी वजह से देखने को मिल रहा है।
मीनू अपने किये पर बहुत पछताती है अब हितेश चौथी मंज़िल पर जाता है तो वहां टाला लगा दीखता है वह अपने भांजे को फ़ोन करता है तो पता चलता है की उसका एक्सीडेंट हो गया है वो और उसकी पत्नी ऋतू अस्पताल में है हितेश भी अस्पताल पहुँचता है।
हितेश – अरे बेटा तुम ठीक तो हो, कैसे हुआ तुम्हारा एक्सीडेंट।
हितेश के चौथे भांजे ने सारी बात बताई इतने में ऋतू भी आ जाती है।
ऋतू – मामा जी नमस्कार, अच्छा हुआ आप आ गए मैं तो यहाँ अकेले बहुत परेशान हो गयी थी कभी दवाई का पर्चा तो कभी दवाई का चक्कर। हितेश – तो तुम दोनों दीदी को खबर क्यों नहीं दी। ऋतू – किस मुँह से मैं फ़ोन करती माँ जी को उनका दिल भी बहुत दुखाया है हमने आज बहुत पछता रही हूँ जो उनसे अलग रहने के लिए सोचा। अगर हम सब साथ रह रहे होते तो आज मुझे इतनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
हितेश अपने तीनो भांजो और सुसीला जी को खबर कर देता है और सभी अस्पताल में आते है। हितेश चारो भाईओ को एक दूसरे की परेशानी के बारे में बता देता है चारो भाई एक दूसरे के गले लगते है और एक दूसरे से माफ़ी मांगते है।
चारो बहुये भी सुसीला जी के पैर छूकर अपने सास से माफ़ी मांगते है अब दुबारा सारा परिवार एक हो गया और सब मिल जुलकर रहने लगे अगर एक भाई पर कोई परेशानी आती तो सारे भाई मिल जुलकर उसका सामना करते।
एक दिन सुसीला ने अपने बेटे और बहुओं को बुलाया और कहा, देखो तुम सब एक साथ रहते हो तो कितने खुश रहते हो कोई मुसीबत तुम्हे छू भी नहीं सकती इसीलिए तो कहते है मुश्किल वक्त भी टल जाता है जब अपनों का साथ मिल जाता है।
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