Story In Hindi – चार बहुओं की सास की कहानी Part-1 Here, You Can Read Latest Collection Of Short & Long Real Moral Stories In Hindi For Child, Hindi Kahani, Horror Story In Hindi, Short Story For Kids In Hind and English and many more.
Story In Hindi – रोमा, टीना, मीनू और ऋतू चारो की शादी एक ही घर में हुयी है। चारो बहुये एक ही साथ एक घर में रहती है चारो की सास सुसीला जी बहुत ही समझदार और शांत स्वभाव की महिला है। लेकिन अपने चारो बेटो की शादी के बाद सुसीला का सिर्फ एक ही काम रह गया है की चारो बहुओं का प्यार कैसे बढ़ाया जाये। एक दिन सुसीला के घर उसकी बहन आयी।
सुसीला की बहन – सुसीला तू तो बहुत खुश किस्मत है तेरी चारो बहुये तो बहुत सुन्दर है और तेरा बहुत ख्याल भी रखती है तुझे तो घर के काम की चिंता ही नहीं रहती होगी।
सुसीला – अरे कहा दीदी, मुझे तो हर समय यही चिंता रहती है की कही इन चारो में लड़ाई ना हो जाये। जब भी मुझे लगता है की इन चारो में बहस होने वाली है तो में बात को संभल लेती हूँ।
सुसीला की बहन – ये बात तो सच है सुसीला, दुनिया सोचती है की बहुये आ जाने से घर में खुशिया आ जाती है लेकिन ये भी सच है घर में बहुये आ जाने से सास के लिए जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। हर समय बस यही सोचते रहो की कही लड़ाई ना हो जाये। ये दोनों बात कर ही रही थी तभी अचानक रोमा और मीनू की लड़ने की आवाज आयी।
रोमा – मैंने एक बार पोछा लगा दिया है तो मैं दुबारा नहीं लगाउंगी। मीनू – दुबारा पोछा तो तुम्हे लगाना ही पड़ेगा रोमा, तुमने इतना गन्दा पोछा लगाया है लगी नहीं रहा है की घर की सफाई हुयी है।
बहुओं में इस तरह से लड़ाई देखकर सुसीला की बहन घबड़ा गयी और सुसीला को समझाने लगी “तेरी बहुये काम कम करती है और लड़ती ज्यादा है”
सुसीला – तुझे इनकी लड़ाई बंद करने के लिए कोई ना कोई रास्ता तो निकालना ही होगा।
ये कहकर सुसीला की बहन वहा से चली गयी। अब सुसीला दिन रात यही सोचती रहती की इन बहुओं का आपस में प्यार कैसे बढ़ाया जाये इसलिए सुसीला ने अपनी सारी बहुओं को इक्कठा किया और कहा।
सुसीला – तुम चारो लोग दिनभर आपस में लड़ती रहती हो इससे ना तो घर चल सकता है ना तो जिंदगी इसलिए आज तुम सब ये बता दो की चाहती क्या हो? रोमा – माँ जी आप हमें अलग-अलग घर देदो। सुसीला – मेरे पास इतना पैसा नहीं है की मैं तुम चारो को अलग अलग घर बना कर दूँ। मीनू – माँ जी ये घर भी तो बहुत बड़ा है आप इस पर चार मंज़िल बनवा दो और हम चारो को दे दो। सुसीला – मैंने अपने चारो बेटो को बड़े प्यार से पाला है इसलिए मैं नहीं चाहती की तुम लोगो की वजह से मेरा घर टूट जाये, मेरे चारो बेटे अलग-अलग रहे और मेरा क्या मैं तुम चारो में से किसके पास रहूंगी।
सुसीला की ये बातें सुनकर चारो बहुये चुप हो गयी चारो में से कोई भी सुसीला को अपने साथ नहीं रखनी चाहती थी सुसीला ने अपनी बहुओ को एक टक देखा और कहा। तुम चारो को मैंने अपने बेटे भी दे दिए और अपना घर भी दे दू लेकिन तुम में से कोई भी मुझे अपने साथ नहीं रखना चाहता।
ये कहते हुए सुसीला की आँखे भर आयी और वह उन चारो बहुओं के काम बाट दिए और उन सबको कहा की कोई भी आपस में नहीं लड़ेगा लेकिन उनकी बहुये कहा मानने वाली थी।
अब चारो बहुये ने एक एक टीम बना ली एक टीम में रोमा और मीनू थी और दूसरी टीम में ऋतू और टीना थी। चारो आपस में लड़ती तो नहीं थी लेकिन एक दूसरे की चुगली करने लगी थी। एक दिन टीना और ऋतू ने अपनी सास से कहा।
टीना – माँ जी आपको पता है रोमा 12 बजे से सो रही है आज तो उसने सिर्फ घर की झाडू ही लगायी है और पोछा भी नहीं लगाया। ऋतू – हां माँ जी अपने लड़ने के लिए मना किया है इसलिए मैं मीनू से कुछ नहीं कहती। वह आज ही बाजार जाकर अपने लिए तीन-तीन साड़िया लायी है। अपने लिए तीन साड़िया लायी है और आपके लिए एक भी साड़ी नहीं लायी है।
ऋतू और टीना तो अपने सास से चुगली करके चली गयी अब मीनू और रोमा की बारी थी।
मीनू – माँ जी आपने ऋतू को तो सर पर चढ़ा रखा है वो हमेशा रोटियां जला देती है और आपके बेटे भी बोल रहे थे की ऋतू की हाथ की रोटियां अच्छी नहीं लगती। रोमा – और माँ जी कल टीना ने सब के कपडे धोये पर मेरे नहीं धोये। मैं खाना बनती हूँ तो सबके लिए बनती हूँ ना मैं किसी दिन उसके लिए खाना ना बनाऊ तो उसे कैसा लगेगा।
सुसीला सारी बहुओं की बातें सुनती और सर पकड़कर बैठ जाती इसी तरह दिन बीत रहे थे। जब बहुओ को लगा की हमारी सास तो हमें घर बनाकर नहीं देगी तो चारो बहुओ ने अपने-अपने पतियों को भड़काना सुरु कर दिया। जैसे ही उनके पति काम से आते वैसे ही चारो बहुओ चुगली करने में लग जाती एक दिन जब उनके पति घर आये तो रोमा बोली।
रोमा – सुनो जी मैं इस घर में नहीं रह सकती मैं सारा दिन घर का काम करती हूँ और फिर भी आप की माँ और आपकी भाभियो की ताना सुनती हूँ। रोमा का पति – मैं भी रोज़-रोज़ के लडाईओ से दुखी हो चूका हूँ आज तो फैसला हो ही जाये।
उधर मीनू भी अपने पति से कहती है।
मीनू – सुनिए जी हम कब तक आपके घर वालो के साथ पिसते रहेंगे बच्चे बड़े हो रहे है उनके भी भविष्य के बारे में सोचना है आप तो सारे घर का खर्चा चलाते हो और मैं घर के काम में लगी रहती हूँ। माँ जी से बोलिये ना इस घर को तोड़वाकर फ्लैट बनवा दे हम आराम से रहेंगे। मीनू का पति – तुम ठीक कह रही हो आज माँ से इस बारे में बात कर ही लेता हूँ आखिर हमारी भी तो पर्सनल लाइफ है।
सुसीला के बेटे उससे बात करने के लिए आये और पीछे-पीछे बहुये भी आ गयी।
बेटा – माँ ….माँ …कहा हो आप बहार आओ तो।
सुसीला कमरे से बाहर आती है।
बेटा – माँ आप घर को तोड़वाकर फ्लैट बनवा दो ना सब साथ में नहीं रह सकते। दूसरा बेटा – हां माँ हम सबको एक एक रूम मिला हुआ है। हमारे बच्चे बड़े हो रहे है उनको भी अपना रूम अलग से चाहिए ना और जो आपकी बहुओं में 24 घंटे लड़ाई होती रहती है वो भी नहीं होगी। अलग-अलग रहने से आपको भी शांति मिलेगी और हमें भी।
माँ – अच्छा तुम्हारी पत्निया ये घर तुड़वाने के लिए मुझे नहीं मना पायी तो मेरे बेटो को ही भड़का दिया। मैं इस घर को तुड़वाने नहीं चाहती इस घर में तुम्हारे पिता की यादे है तुम्हारा बचपन बिता है और तुम चारो अपने पत्निओ को समझाने के वजाये मुझसे ये घर तोड़वाने ने लिए बोल रहे हो।
सुसीला ने अपने बेटे और बहुओं को बहुत समझाया लेकिन कोई भी राज़ी नहीं हुआ और मजबूरी में सुसीला को अपना घर तोड़वाना ही पड़ा। जैसे-जैसे हथौड़ा घर की दीवारों पर चोट कर रहा था सुसीला को वो चोट अपने दिल पर महसूस हो रही थी।
अब कुछ दिन बाद उस घर की जगह एक आलीशान बिल्डिंग खड़ी थी। सुसीला ने अपने चारो बेटे और बहुओं को बुलाया और कहा।
सुसीला – तुम चारो के फ्लैट बनकर तैयार हो गए है अब तुम सब आराम से रह सकते हो तुम अपने-अपने परिवार के साथ खुश रहोगे लेकिन मेरा परिवार तो तुम सब हो तुम्हे अलग-अलग जाता देख मुझे कितना दुःख हो रहा है कैसे बताऊ।
बेटा – माँ आप कहा रहेंगी … मतलब हम में से किसके साथ रहेंगी। सुसीला – तुम फ़िक्र मत करो बेटा, तुम्हारी बूढ़ी माँ किसी पर भी बोझ नहीं बनेगी। पेंशन तो आती है मेरे पास उससे मेरा गुजारा हो जायेगा तुम चारो एक-एक फ्लैट में रह लोगे तो ये निचे का हिस्सा बचेगा मैं वही रह लुंगी।
चारो बेटे अपनी-अपनी पत्नी और बच्चो को लेकर चली गयी और आराम से रहने लगे। सुसीला पुरे दिन यही रहती और यही सोचती “मेरी बहुओ में मुझसे मेरे चारो बेटो को छीन लिया चारो में से कोई भी मेरे पास नहीं आता लेकिन सभी दिन एक जैसे नहीं रहते कल मेरी जगह मेरी बहुये भी होंगी तब देखती हूँ।”
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